भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और डिजिटल नया भारत
भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। 21वीं सदी में भारत ने जिस गति से विकास किया है, वह न केवल अपने नागरिकों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायक है। चाहे वह सूचना-प्रौद्योगिकी का क्षेत्र हो, स्टार्टअप संस्कृति हो, डिजिटल भुगतान व्यवस्था हो या फिर बुनियादी ढांचे का विकास – हर जगह भारत ने अद्भुत प्रगति दर्ज की है।
भारत की अर्थव्यवस्था का वैश्विक स्थान
वर्तमान समय में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और आने वाले वर्षों में इसके तीसरे स्थान पर पहुँचने की संभावना जताई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की रिपोर्टों के अनुसार, भारत की GDP वृद्धि दर 6% से अधिक बनी हुई है, जो विकसित देशों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ है।
भारत के पास विशाल उपभोक्ता बाज़ार, युवा जनसंख्या और तेज़ी से बढ़ता मध्यम वर्ग है। यही कारण है कि वैश्विक निवेशक भारत को भविष्य का सबसे बड़ा निवेश केंद्र मानते हैं।
डिजिटल इंडिया: नए भारत की पहचान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया डिजिटल इंडिया अभियान ने भारत की तस्वीर बदल दी है। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल भुगतान करने वाले देशों में शामिल हो गया है। UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने लेन-देन की प्रक्रिया को इतना आसान और पारदर्शी बना दिया है कि गाँव-गाँव तक डिजिटल भुगतान संभव हो गया है।
2025 तक भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 90 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। इससे न केवल डिजिटल सेवाओं की मांग बढ़ेगी बल्कि नई नौकरियों और उद्यमिता के अवसर भी बढ़ेंगे।
स्टार्टअप और उद्यमिता का बढ़ता जाल
भारत आज स्टार्टअप नेशन के नाम से जाना जाता है। 2023 तक भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन चुके हैं, जिनकी वैल्यूएशन अरबों डॉलर में है। ई-कॉमर्स, फिनटेक, एडटेक, हेल्थटेक और एग्रीटेक जैसे क्षेत्रों में भारतीय स्टार्टअप्स ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
सरकार भी स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से युवाओं को प्रोत्साहित कर रही है। यही वजह है कि नए भारत का चेहरा आत्मनिर्भर और तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनता जा रहा है।
बुनियादी ढांचे में तेजी
अर्थव्यवस्था की रीढ़ बुनियादी ढांचा होता है। भारत ने पिछले एक दशक में सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों और मेट्रो नेटवर्क में भारी निवेश किया है। भारतमाला परियोजना और सागरमाला परियोजना जैसी योजनाओं ने परिवहन व्यवस्था को और मजबूत किया है।
इसके अलावा, ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर भारत का कदम भी सराहनीय है। सोलर एनर्जी उत्पादन में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो गया है।
भारत की युवा शक्ति
भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी युवा जनसंख्या है। 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह जनसांख्यिकीय लाभ भारत को न केवल उत्पादन क्षमता में बढ़त देता है बल्कि नई सोच और नवाचार में भी अग्रणी बनाता है।
शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों के जरिए भारत युवाओं को भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार कर रहा है। यही कारण है कि वैश्विक कंपनियां भारत को अपनी वर्कफोर्स का केंद्र मान रही हैं।
आर्थिक सुधार और नीतिगत बदलाव
भारत सरकार ने पिछले वर्षों में कई आर्थिक सुधार लागू किए हैं। जैसे – GST (वस्तु एवं सेवा कर), इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, FDI नीतियों में सुधार और मेक इन इंडिया। इन सुधारों ने निवेशकों के विश्वास को मजबूत किया है।
डिजिटल गवर्नेंस और ई-गवर्नमेंट सेवाओं ने पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा दिया है, जिससे भारत एक सक्षम और भरोसेमंद निवेश स्थल बन गया है।
भविष्य का भारत
भारत का भविष्य उज्ज्वल है। अगले 10 वर्षों में भारत का लक्ष्य है कि वह न केवल तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने बल्कि एक ज्ञान आधारित समाज भी स्थापित करे। 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का सपना अब दूर नहीं है।
भारत आने वाले वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, ग्रीन एनर्जी और स्पेस टेक्नोलॉजी में वैश्विक नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
निष्कर्ष
भारत की कहानी सिर्फ आर्थिक विकास की नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता, नवाचार और नई सोच की है। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों ने नए भारत को जन्म दिया है।
आज का भारत न केवल अपने नागरिकों को सशक्त बना रहा है बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक विकास का मॉडल बनता जा रहा है। बढ़ती अर्थव्यवस्था और डिजिटल प्रगति के साथ, भारत निश्चित ही आने वाले समय में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
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